अभी हाल में दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद राज्य में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा सोशल मीडिया में चल रही है। इस झूठी खबर को कुछ राजनेता /कार्यकर्ता कुछ मीडिया वाले हवा दे रहे हैं । यदि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन होगा ,तो राज्य और भाजपा के हित में यह कदापि नहीं होगा। यह पार्टी के लिए एक आत्मघाती कदम भी हो सकता है। कुछ विधायकों की मंत्री बनने की लालसा इस तरह की खबर को हवा देकर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर रही हैं, इसके सिवाय और कुछ नहीं ।
रावत सरकार इमानदारी से प्रदेश के विकास में कार्य कर रही है। भ्रष्टाचार पर पूरी तरह अंकुश लगा है ।विकास कार्य में तेजी से काम हो रहा है। तबादलों को लेकर भ्रष्टाचार का जो एक बड़ा उद्योग राज्य में बन गया था ,पूरी तरह खत्म हो गया है । कार्यकर्ताओं में मुख्यमंत्री की लोकप्रियता बढी है । जिसका लाभ पार्टी को मिल रहा है। यदि राजनीति में जीत को ही मानक माना जाता है ,तो त्रिवेंद्र अब तक की सबसे सफल मुख्यमंत्री हैं । राज्य में उनके कार्यकाल में जितने भी चुनाव हुए, लोकसभा ,निकाय ,उपचुनाव हो या पंचायत इन सब में पार्टी को बड़ी जीत मिली है। मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही २-४ विधायकों की आंखों में रावत खटक रहे हैं।उन्हें मंत्रालय नहीं मिला तो वह इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं ।जबकि उनकी खुद की स्थिति क्षेत्र में बहुत ही खराब है । रही मंत्रियों की बात तो कुछ बड़े चेहरे जो खुद को मुख्यमंत्री के दावेदार मानते हैं ।यदि उनकी अब तक की परफॉर्मेंस देखी जाए तो कुछ खास वे अब तक नहीं दिखा पाए ।सतपाल महाराज एक बड़े मंत्री हैं । जिनका अधिकांश समय प्रदेश से बाहर गुजरता है अभी तक वह पार्टी के पदाधिकारियों को ठीक ढंग से नहीं पहचान पाए तो कार्यकर्ताओं तो दूर की बात है। कार्यकर्ताओं को उनसे काम लेना टेढ़ी खीर है । यही स्थिति हरक सिंह रावत और यशपाल आर्या की भी है। भाजपा को राज्य में नेतृत्व परिवर्तन कि नहीं बल्कि ऐसे मंत्रियों से मंत्रिमंडल छीन कर दूसरे अनुभवी और काबिल विधायकों को मंत्रालय देना चाहिए ।नेतृत्व परिवर्तन तो राज्य और भाजपा के हित में नहीं होगा। इस तरह का प्रयोग राज्य में पहले की सरकारों के समय भी हो चुका है। लेकिन रिजल्ट क्या निकला वह सबके सामने हैं । हालांकि नेतृत्व परिवर्तन की बात सोशल मीडिया पर हो रही है ।जिसमें सच्चाई दूर-दूर तक नहीं दिखाई देती। इन झूठी खबरों से केवल राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बन रह है ।जिसका फायदा अधिकारियों को मिलेगा। राज्य को तो इसका नुकसान अधिक है।