आखिर कौन है वह जो धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है

धर्मपुर के विधायक विनोद चमोली के खिलाफ कौन षड्यंत्र रच रहा है, यह आजकल कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का विषय बना है ।दीपावली के दिन  राजधानी की एक होटल में प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम  में दर्जनों कार्याकर्ता  मौजूद थे  । उसके बाद  विधायक विनोद चमोली ने अपने संबोधन में भावुक होकर एक बड़ी बात कह दी कि कुछ कार्यकर्ता संघर्ष से नहीं, बल्कि षडयंत्र कर विधायक की कुर्सी तक पहुंचना चाहते हैं । जिसके बाद कार्यकर्ताओं में यह चर्चा होनी  लाजमी है कि आखिर कौन है वो नेता / कार्यकर्ता जो विधायक विनोद चमोली के लिए खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं ।यहां सवाल यह  भी उठता है कि उत्तराखंड की राजनीति में जिस तरह घड़ियाली आंसू राजनेता बहातें हैं। क्या यह  उसी का एक पाठ तो नहीं था  क्योंकि उत्तराखंड की राजनीति में हरक सिंह रावत, मंत्री प्रसाद नैथानी और विनोद चमोली को इसमें महारत हासिल है  अक्सर यह देखा गया है कि ये नेता अपने संबोधन के दौरान भावूक होकर अपने लिए सहानुभूति के लिए यह  खेल खेलते हैं   । रही षड्यंत्र की बात, तो विधायक को पार्टी संगठन में यह बात रखनी चाहिए।  लेकिन वरिष्ठ नेताओं का मानना है की विनोद चमोली खुद षडयंत्र की चलती फिरती यूनिवर्सिटी है ।उनके खिलाफ कौन षड्यंत्र रच सकता है।  अपने प्रतिद्वंद्वियों को कैसे ठिकाना लगाना है यह चमोली भली-भांति जानते हैं ।कई वरिष्ठ नेताओं को षड्यंत्र के तहत उन्होंने ठिकाने लगाकर वे खुद आगे बढ़ते चले गए।संगठन  और अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्रियों से उनकी कभी नहीं बनी । अपनी ही  पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ  विधायक चमोली की कभी नहीं  बनी। लगातार वह  अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्रियों की टांग खिंचााई करते नजर आए । मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत  के खिलाफ भी वह अक्सर बयान बाजी करते रहते हैं।पब्लिक मीटिंग में भी चमोली यह कहते हुए सुनाई देते हैं कि वह अपनी ही सरकार के खिलाफ लड़ रहे हैं। वास्तविकता यह है विनोद चमोली खुद गलतफहमी में है कि  प्रदेश में उन से बड़ा नेता कोई नहीं है । और उसी गलतफहमी का शिकार वो खुद  हो रहे हैं । जबकि पार्टी ने उन्हें अब तो बहुत कुछ दिया है।  अक्सर संघ पृष्ठभूमि के और वरिष्ठ कार्यकर्ताओंं को ठिकाने लगाने के लिए वह खुद षड्यंत्र कर उन्हें  घर बैठाने का काम करते रहे हैंं।  अभी कुछ दिन पूर्व   उनके इशारे पर उनके करीबी कार्यकर्ता अपनी ही सरकार के खिलाफ डीएम कार्यालय में  धरना देने पहुंच गए।पब्लिक मीटिंग में भी वो अपनी ही  सरकार को कोसते  रहते हैं।


  तो ऐसे में सवाल यह उठता है कि विनोद चमोली जो  खुद प्रत्येक कार्यकर्ता पर नजर रखते हैं और थोड़ा सा शक हुुआ तो वह खुद उसके खिलाफ षड्यंत्र कर घर बैठा देते हैं इन सब के बावजूद ऐसा चमोली को क्यों लग रहा है की उनके खिलाफ कोई षड्यंत्र कर आगे बढ़़ना चाहता है।